अरे बेटा “कलयुगवासी” अब थोड़ा सावधान होकर रहा करो ! कहीं ऐसा ना हो कि जल्दी ही तुमको “कलयुग” की जगह “सतयुग” में रहने के लिए विवश ना होना पड़ जाए !
क्योंकि पिछले 35-40 सालों से जिनसे आधी रात को सूर्य, ज्येष्ठ के महीने में माघ के जैसी ठंड, अमावस्या की रात को चन्द्रमा की चांदनी, सूखे में वर्षा, अतिवृष्टि में समवृष्टि, भुखमरी में अन्नवृष्टि, 2020 व 2021 की जगह सीधे 2030 नहीं लाए जा सके कुछ ऐसे ही लोगों ने युग परिवर्तन करके “कलियुग” की जगह “सतयुग” लाने के लिए बड़े बड़े “युग परिवर्तन अभियान” चला रखे हैं !
ऐसे अभियानों पर हम पिछले लगभग 25-30 वर्षों से तो निरन्तर बड़ी सतर्कतापूर्वक निगाह रखे हुए हैं !
ओर हां ! जिन लोगों ने ऐसे अभियान चलाए थे उनके तो वास्तव में “लाखों हैक्टेयर भूमि पर सतयुग भी बन गए थे” ओर अब तो उनमें से अधिकतर लोग अपने हिस्से के उन “सतयुगों” को भोगकर मृत्यु के बाद उनको जहां-जहां जाना था, वे वहां-वहां भी पहुंच चुके हैं ! ओर अब केवल उनके कुछेक अतिप्रिय व कृपापात्र लोग तथा इनके भी अतिप्रिय व कृपापात्र लोग ही अपने-अपने हिस्से का “सतयुग” भोग रहे हैं !
अब कहीं ऐसा ना हो जाए कि उनके बे-सिर-पैर के उन बड़े-बड़े अभियानों के चलते रहने के परिणाम स्वरूप आर्थिक व मानसिक रूप से वर्षों से ठगे जाते हुए कहीं आम जनमानस ओर तुम जैसों को “कलयुग वासी” से सतयुग वासी “दर्शन कोठियाल” ना बनना पड़ जाए !
इसमें भी सबसे बड़ी बात तो यह है कि ऐसे अभियानों से बड़े-बड़े सत्ता भोगी “सत्ताधीश”/नेता “अभिनेता”/प्रशासनिक “गुलाम”/विवेकहीन “विद्वान”/खूब पढ़े लिखे “गंवार”/अतिश्य ज्ञानवान “मूर्ख”/आमजन का मार्गदर्शन करने वाले “मार्गहीन” लोग भी तन-मन-धन-जी-जान-जोर ओर शोर से जुटे हुए हैं !
हमारे इस लेख को पढ़कर यदि किसी को कुछ समझ में आया हो तो ओरों को भी समझा देना, किसी को ठेस पहुंची हो तो वह अपने गिरहबान में झांकना, किसी को हंसी आई हो तो जोर से ठहाके मारकर हंसना, क्रोध आया हो तो किसी बड़े से पत्थर या दीवार पर अपनी भड़ास निकाल लेना, किसी को कोई कानून याद आ गया हो तो फिर वह उन कानूनों को भी खोज ले जो आम जनता को दशकों तक भ्रमित करने के आरोप में प्रयोग किए जाते हैं !
ओर जिसको कुछ भी समझ में ना आया हो वो तो फिर इस धरती पर बोझ ही है !
वैसे यह सब लिखते हुए हमें डर भी लग रहा है कि कहीं ये सब लोग हम पर क्रोधित होकर हमको “सतयुग” की बजाय सीधे “त्रेतायुग” में ना भिजवा दें ! वैसे ये लोग हमें “त्रेतायुग” में भिजवा भी दें तो कुछ बुरा भी नहीं है, ये फूटी हुई कोड़ियां किसी काम तो आएंगी !
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