वर्ष 2023 के 25 सितम्बर को हमारे नातीशिष्य “आदित्य प्रताप सिंह नेगी” के जन्मदिवस के अवसर पर हमने उसके हाथों से दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले ओलिएसी कुल के दिव्य वृक्ष “कल्पवृक्ष” तथा एक “पारिजात” वृक्ष को उनकी गृहवाटिका में रौपित करवाया था ।
अब यह पौधा अपना विस्तार करने लगा है ! इस पौधे को भारत में उत्तराखण्ड के वातावरण में अनुकूलता मिल गई !
इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम ओलिया कस्पीडाटा है । इसका वानस्पतिक नाम बंबोकेसी है । इस वृक्ष को कल्पवृक्ष, अडनसोनिया टेटा तथा बाओबाब भी कहते हैं ।
यह वृक्ष दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है ।
हमारे द्वारा रौपित कराए गए इस दुर्लभ व दिव्य “कल्प वृक्ष” के बीज को दक्षिण अफ्रीका से लाकर देहरादून में उसकी पौध तैयार की गई थी ।
वैश्विक स्तर के अनेक वैज्ञानिकों के शोध एवं मतानुसार ओलिएसी कुल का यह वृक्ष ही “कल्पवृक्ष” है ।
वहीं कुछ अवैज्ञानिक मतावलम्बि विद्वानों के मतानुसार “पारिजात” का वृक्ष ही “कल्पवृक्ष” है । किन्तु “पारिजात” व “कल्पवृक्ष” के औषधीय, रासायनिक व प्राकृतिक गुण “पारिजात” वृक्ष ओर “कल्पवृक्ष” को निर्विवाद रूप से पृथक – पृथक कुल व प्रजाती के वृक्ष होना ही प्रमाणित करते हैं ।