आमजनमानस को इन तीन चरित्रों को गहनता से जानना समझना अत्यन्त आवश्यक है !
आध्यात्मिक व्यक्ति (Sritual Person), धार्मिक व्यक्ति (Religeus Person) ओर बहरूपिया (A person in disguise) !
मैं इन तीनों को तीन ही श्रेणियों में इस प्रकार से परिभाषित करता हुं !
यथा :-
1 :- आध्यात्मिक व्यक्ति (Sritual Person) “श्रेष्ठ श्रेणी” :- क्योंकि इस श्रष्टि के रचयेता के प्रति निष्ठावान होने के कारण किसी भी आध्यात्मिक व्यक्ति को अपने आत्मोत्थान, आत्मकल्याण एवं आमजनमानस के कल्याण के प्रति समान सद्भावना के अतिरिक्त “द्वैत व द्वेष” की भावना ही नहीं होती है !
किसी भी आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए कोई संस्कृति, सम्प्रदाय, पंथ, परम्परा महत्वपूर्ण नहीं होती है, क्योंकि सभी संस्कृति, सम्प्रदाय, पंथ, परम्पराएं केवल “मानव द्वारा किया गया सभ्यताओं का विभाजन” मात्र है ! अतः एक पूर्णतः आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए श्रृष्टि की सर्वौच्च सत्ता द्वारा रचित समस्त लोक ही केवल “वसुधैव कुटुम्बकम्” होता है !
इनको कोई महत्व दे या न दे, इनको मान, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा से कोई लेना देना नहीं होता है !
2 :- धार्मिक व्यक्ति (Religeus Person) “मध्यम श्रेणी” :- क्योंकि कोई भी धार्मिक व्यक्ति केवल अपने धर्म,संस्कृति, सम्प्रदाय, पंथ, परम्परा के प्रति निष्ठावान होने के कारण अपने धर्म,संस्कृति, सम्प्रदाय, पंथ, परम्पराओं के नाम पर कभी भी ओर कहीं भी किसी साम्प्रदायिक या धार्मिक उन्माद, उपद्रव, वैमनश्य, द्वेष, युद्ध की स्थिती को उत्पन्न कर सकता है !
धार्मिक व्यक्ति निजधर्म, निजसंस्कृति, निजहित व निजवर्चस्व के निमित्त धार्मिक शास्त्रों की आड़ लेकर विभिन्न मान्यताओं, परम्पराओं, आडम्बर युक्त पद्धतियों को बनाते व अन्य धार्मिक व्यक्तियों के द्वारा बनाई गई विभिन्न मान्यताओं, परम्पराओं, पद्धतियों को तोड़ने, खण्डन करने व एक धार्मिक व्यक्ति दूसरे धार्मिक व्यक्ति को नीचा दिखाने आदि की प्रतिस्पर्धा में लिप्त रहते हुए आमजनमानस को आडम्बर, मतभेद व दुविधा की अवस्था में किंकर्तव्यविमूढ़ बनाए रखकर समाज के मध्य अपना वर्चस्व स्थापित रखते हुए सर्वौच्च व्यक्ति के रूप में सम्मानित, पूजित व प्रतिष्ठित रहते हैं !
धार्मिक व्यक्ति सदैव “द्वैत व द्वेष” की भावना से ग्रस्त रहते हुए समाज के मध्य अपना वर्चस्व स्थापित रखने के निमित्त धार्मिक, राजनैतिक, कूटनीतिक आदि किसी भी स्तर तक जा सकते हैं !
3 :- बहरूपिया (A person in disguise) “अधम श्रेणी” :- जिसका नाम ही बहरूपिया अर्थात् छद्मवेष धारी है, तो वह कभी आध्यात्मिक व्यक्ति भासित होता है तो कभी धार्मिक व्यक्ति भासित होता है !
किन्तु इसका लक्ष्य केवल एक ही होता है, कि आमजनमानस को अपने छद्म व्यवहार से आमजनमानस की धार्मिक भावनाओं व आस्था के नाम पर भय, भ्रान्ति, चमत्कार, पाखण्ड दिखाकर एवं विभिन्न प्रकार से विधिविरूद्ध मनगढन्त मान्यताएं, परम्पराएं, पाखण्ड, आडम्बर को ईश्वर भक्ति बताकर अपने नियन्त्रण में रखकर समाज के मध्य अपना वर्चस्व स्थापित रखना, व आमजनमानस की धार्मिक भावनाओं व आस्था को अपने ऐश्वर्य के रूप में भोगते हुए सर्वौच्च व्यक्ति के रूप में सम्मानित, पूजित व प्रतिष्ठित रहते हैं !
बहरूपिये व्यक्ति सदैव “छल, दम्भ, द्वेष, कपट” की भावना से ग्रस्त रहते हुए समाज के मध्य अपना वर्चस्व स्थापित रखने के निमित्त धार्मिक, राजनैतिक, कूटनीतिक, छल, कपट, दम्भ, षड़यन्त्र आदि किसी भी स्तर तक गिरकर अपने स्वार्थ को पूरा कर सकते हैं !