अपने भक्त के संग में भगवान सदैव रहते हैं ।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः । माँ भगवती आप सब के जीवन को अनन्त खुशियों से परिपूर्ण करें ।

विगत 4 जून 2024 को हमारा प्रिय नाती शिष्य प्रियांशु नेगी हमसे मिलने श्रीनगर आया था, अकस्मात् ही उसने चतुर्थ केदार श्री रूद्रनाथ जी के दर्शन करने जाने की इच्छा व्यक्त की, वह अकेला ही आया था तो थोड़ा विचार करके हमने उसको कुछ सावधानियों के निमित्त निर्देश देकर अकेले ही रूद्रनाथ जाने की अनुमति दे दी ।

जब 5 जून को वह सगर के मार्ग से रूद्रनाथ जा रहा था इसी मध्य पुंग बुग्याल से आगे जाने पर पहले तो उसने एक छोटे भालु को देखा उसके कुछ किलोमीटर आगे जाने पर एक समय ऐसा आया कि जब उसके आगे पीछे बहुत दूर तक अन्य कोई तीर्थयात्री नहीं थे । जंगल में स्वयं को अकेला पाकर वह थोड़ा भयभीत ओर अधीर होकर जंगल में बैठ गया ।

कुछ क्षणों के उपरान्त उसने देखा कि उसके निकट एक कुत्ता बैठा हुआ उसको निहार रहा है । न जाने कहां से वह कुत्ता जो कि एक पैर से लंगड़ा भी था, वह कोई आहट किए बिना ही प्रियांशु के निकट आकर बैठ गया था ।

तब अपने निकट एक अन्य जीव को पाकर प्रियांशु के भीतर से भय का निस्तारण हो गया ओर उसने अपने पास रखी मूंग की नमकीन व भुना हुआ चना उस कुत्ते को खिलाया ओर स्वयं भी खाया । इसके उपरान्त वह कुत्ता प्रियांशु के साथ ही रूद्रनाथ की ओर चलने लगा ।

फिर कुछ किलोमीटर आगे जाकर मार्ग में जैसे ही कुछ अन्य यात्री रूद्रनाथ की ओर जाते हुए मिले तब प्रियांशु उन यात्रियों के साथ चलने लगा, जो कि अब रूद्रनाथ तक प्रियांशु के साथ ही चलते रहे थे । तो वह कुत्ता जिस प्रकार जंगल में भयभीत हुए प्रियांशु को अनायास ही उसके निकट बैठा हुआ मिला था, वैसे ही प्रियांशु को अन्य सहयात्री मिल जाने पर वह कुत्ता अब अनायास ही गायब हो गया था ओर दूर दूर तक कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था ।

आज प्रातः प्रिय प्रियांशु हर्षोल्लास से आकण्ठ परिपूर्ण चतुर्थ केदार श्री रूद्रनाथ जी की यात्रा सम्पन्न कर वापस हमारे पास आया ओर दोपहर का भोजन हमारे साथ करने के उपरान्त उसने अपने शैक्षणिक संस्थान देहरादून के लिए प्रस्थान किया ।

अपने भक्त के भय का निदान करने के लिए स्वयं श्री रूद्रनाथ महादेव जी ने ही कुत्ते को भेजकर यह माया रची थी ।