आकर्षण (कृष्ण) और संकर्षण (बलराम) की अद्भुत जोड़ी !

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः । माँ भगवती आप सब के जीवन को अनन्त खुशियों से परिपूर्ण करें ।

कृष्ण अर्थात कर्षति आकर्षति स: कृष्ण: । अर्थात् आकर्षण (Attraction) परन्तु आकर्षण (Attraction) से पहले संकर्षण (Traction) बल अर्थात् बलराम जी श्री कृष्ण से पहले जन्मे ।

बलराम जी संसार के पहले ज्ञात संकर्षक (Tractor) थे, इसीलिए उनके पास हल और मूसल (हाइड्रोलिक) था ।

नैसर्गिक सिद्धांत यह है कि आकर्षण (Attraction) शक्ति और संकर्षण (Ttraction) बल मिलकर हाइड्रोकेनेसिस शक्ति पैदा करते हैं । यह एक मानसिक शक्ति है जिससे कुछ भी उठाया जा सकता है । आज भी इस युग में भी समाधि की गहन अवस्था में जाकर भारी से भारी वस्तु को भी उंगली के इशारे से उठाया जा सकता है ।

समस्त संसार के योग गुरुओं के भी गुरु ने अपने बड़े भाई की संकर्षण (Traction) शक्ति और स्वयं की आकर्षण (Attraction) शक्ति मिलाकर हाइड्रोकेनेसिस पावर से सिर्फ उंगली के इशारे से गोवर्धन पर्वत उठा दिया था । इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, तत्ववेत्ता इसमें कुछ बड़ी बात नहीं मानते हैं, क्योंकि उन्हें श्रीकृष्ण की शक्तियों का अभिज्ञान था, है, ओर रहेगा ।

अविवेकी या अतिविवेकी लोगों के लिए यह बात हमेशा से ही नहीं मानने वाली रही है और भविष्य में भी नहीं मानने वाली ही रहेगी ।

“यह बात उन “क्रिप्टो क्रिश्चियन” या “करप्ट नमूनों” को भी अब यहां पढ़कर ही पता चलेगी जो “सनातन धर्म की आड़ में अपना गुजारा कर रहे हैं ओर कुछ सनातन धर्मगुरूओं” के वेष में रहकर ईसाईयत का प्रचार कर रहे हैं ।”