श्रीविद्या की अधिष्ठात्री देवी !

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः । माँ भगवती आप सब के जीवन को अनन्त खुशियों से परिपूर्ण करें ।

षोडशी को राजराजेश्वरी इसलिए भी कहा गया है क्योंकि यह अपनी कृपा से साधारण व्यक्ति को भी राजा बनाने में समर्थ हैं। चारों दिशाओं में चार और एक ऊपर की ओर मुख होने से इन्हें पंचवक्रा कहा जाता है । इनमें षोडश कलाएं पूर्ण रूप से विकसित हैं, इसलिए ये षोडशी कहलाती है। अरुण वर्ण श्रीकुल से श्रीविद्या साधना में क्रमशः 1- षोडशी, 2- त्रिपुरसुन्दरी, 3- राजराजेश्वरी तथा 4- ललिताम्बा के रूप में सिद्ध की जाती हैं ! इनकी उपासना श्री यंत्र या नव योनी चक्र में की जाती है । ये अपने उपासक को भुक्ति और मुक्ति दोनों एक साथ प्रदान करती हैं ।