हितैषी व विश्वासपात्र एवं धूर्त व आग्रही व्यक्तियों में केवल पगड़ी व जूते जितना ही अन्तर होता है ।
क्योंकि हितैषी व विश्वासपात्र व्यक्ति आपके साथ आत्मीय व पवित्र सम्बन्ध रखता है, वह आपके साथ साथ देश, काल, समय, परिस्थितियों, नीति व सिद्धान्तों को भी समझकर उनकी मर्यादा की रक्षा करते हुए आचरण करता है । तथा ऐसा व्यक्ति सदैव अपने साथ साथ आपके व लोक हित के निमित्त आचरण करता है । ऐसा व्यक्ति “एक हजार अवगुण” होने पर भी श्रेष्ठ व हृदय में सानिध्य का अधिकारी है ।
जबकि धूर्त व आग्रही व्यक्ति आपके साथ केवल अपने उद्देश्य व स्वार्थपूर्ति हेतु छल युक्त सम्बन्ध रखता है, वह आपके साथ साथ देश, काल, समय, परिस्थितियों व सिद्धान्तों की मर्यादा के विपरीत आचरण करते हुए आपको भी सिद्धान्त व नीति विरूद्ध अपने उद्देश्य व स्वार्थपूर्ति के लिए केवल आपका उपयोग करने तक आपके प्रति आत्मसमर्पित व निष्ठावान भासित होता है । ओर ऐसा व्यक्ति अपने उद्देश्य व स्वार्थपूर्ति हेतु आपको किसी संकट में भी डालकर प्रस्थान कर सकता है । ऐसा व्यक्ति “सवा लाख गुण सम्पन्न” होने पर भी अतिनिम्न व सर्वथा परित्याज्य है ।
।। जय अहंकाराकर्षिणी निगर्भ योगिनी अहंसुन्दरी ।।