हमारे सनातन धर्म में भी अजब गजब की नौटंकियां पैदा हो रखी हैं, कोई कहता है सतयुग आने वाला है, कोई कहता है परमात्मा जन्म ले चुका है, जन्म ले चुका है तो है कहां वो ?
कुछेक संस्थाओं द्वारा निचले तबके को बेवकूफ बनाकर लगभग तीस से अधिक वर्षों से यही खेल खेला जा रहा है । इस खेल में अंग्रेजी ओर अधिक पढ़े लिखे गंवार भी शामिल हैं । ये संस्थाएं किसी को ब्रह्मा, किसी को विष्णु, किसी को शिव स्वरूप ओर किसी को कल्कि की संज्ञा देकर अपनी संस्था की गद्दी पर बैठा देते हैं ।
फिर इनके ये ब्रह्मा विष्णु आदि इनके लिए पर्याप्त साधन जुटाकर स्वर्ग सिधार जाते हैं । उसके उपरान्त इन संस्थाओं के द्वारा किसी ओर नई नौटंकी की खोज प्रारम्भ कर दी जाती है ।
इसमें सबसे गम्भीर व रोचक विषय यह है कि ऐसी नौटंकियों में वह कर्मकाण्डी ब्राह्मण भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं जो प्रतिदिन अपनी संध्या अथवा यजमान के किसी कार्य को कराते समय संकल्प लेते हुए संकल्प के विधान में वर्णित शास्त्रीय सिद्धान्त के अनुसार समय की वास्तविक गणना को दोहराते हैं ।
यह पृथक विषय है कि इनको इस विषय पर बोलने पर ये ऐसा बोलने वाले को ब्राह्मण विरोधी ओर धर्म विरोधी होने का प्रमाणपत्र निर्गत करने हेतु व्याकुल हो जाते हैं ।