मेरी साधनाएं एवं गुरु परम्पराएं !

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः । माँ भगवती आप सब के जीवन को अनन्त खुशियों से परिपूर्ण करें ।

मेरे मूल मार्गदर्शक व प्रेरक परम पूज्य परम तपस्वी “श्री श्री १००८ श्री भगवान गिरी जी महाराज” के निर्देश पर मैंने प्रमुख रूप से निम्न दीक्षाएं/विद्याएं प्राप्त कर तत्सम्बन्धित साधनाएं विधिवत् सम्पन्न की :-

पराविज्ञान, मनोविज्ञान, योग एवं तन्त्र :- परम पूज्य परम तपस्वी श्री श्री १००८ श्री भगवान गिरी जी महाराज उज्जैन (मध्य प्रदेश) ।

रस एवं रसायन दीक्षा :- परम तपस्वी स्वामी श्री हनुमान गिरी जी महाराज (हनुमानचट्टी, बदरीनाथ, हिमालय) ।

क्रियायोग दीक्षा :- परम तपस्वी स्वामी श्री प्रवृज्यानंद सरस्वती जी महाराज (सतोपंथ, बदरीनाथ, हिमालय) ।

वनस्पति तन्त्र :- स्वामी श्री चन्द्र गिरी जी महाराज (केदारनाथ, हिमालय) ।

सन्जीवनी विद्या :- इस लोक में मृतसंजीवनी विद्या के अद्वितीय प्रकाण्ड ज्ञाता परम तपस्वी स्वामी श्री मंगलानन्द सरस्वती जी महाराज “त्रिजटा” (भैरव गुफा, नैनबाग, हिमालय एवं इन्द्र सरोवर, खाम, मध्य हिमालय) ।

हठ योग :- परम तपस्वी सिद्धयोगी स्वामी श्री प्रकाश पुरी जी महाराज (गुडगाँव) ।

सहज योग :- परम तपस्विनी श्री भागवती देवी जी (बदरीनाथ, हिमालय) ।

श्रीविद्या क्रमाभिषेक दीक्षा :- ह्यग्रीव सम्प्रदाय की “देव्यौध कपिलनाथी परम्परा” में कालीकुल में श्रीविद्या उपासक परम तपस्वी सिद्धयोगी श्री निश्चलानन्द नाथ जी महाराज (तपोवन, गौमुख, हिमालय) ।

श्रीविद्या तन्त्र दीक्षा :- टिहरी गढ़वाल नरेश की आराध्या कुलदेवी भगवती राजराजेश्वरी व सत्यनाथ भैरव के दत्तात्रेय परम्परा में श्रीविद्या उपासक सिद्धयोगी श्री बसन्त नाथ जी एवं श्री बुद्धि नाथ जी महाराज (देवलगढ़, श्रीनगर गढ़वाल, हिमालय) ।

शाबर मन्त्र सृजन दीक्षा :- परम तपस्वी सिद्धयोगी श्री उन्मेषानन्द नाथ जी महाराज (तपोवन, जोशीमठ, हिमालय) ।

गुप्तगायत्री, ब्रह्मविद्या एवं श्रीविद्या पूर्णाभिषेक दीक्षा :- भूमण्डल पर गुप्तगायत्री साधना विधान के एकमात्र जीवित विशेषज्ञ सिद्ध एवं “ह्यग्रीव सम्प्रदाय” की “देव्यौध कपिलनाथी परम्परा” में श्रीविद्या के साधक योगीश्वर श्री श्री १००८ स्वामी श्री कैवल्यानन्द गिरी जी महाराज “कौलिक” (सतोपंथ, बदरीनाथ, हिमालय) ।

ओर सबसे अन्त में सन्यास दीक्षा :- श्री महन्त श्री १००८ श्री माया गिरी जी महाराज, श्री पंच दसनाम वंश वृक्ष श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी (कनखल, हरिद्वार) ।

इस सब के उपरान्त मैं अभी भी सदैव हिमालयी यात्राओं को करने ओर उस क्षेत्र में आदिकाल से गुप्त अथवा प्रत्यक्ष रूप में निवासरत रहकर साधना करने वाले सिद्ध योगियों के साथ सम्पर्क स्थापित कर उनसे आध्यात्म विज्ञान ओर गुप्त तन्त्र की प्राचीन विद्याओं को प्राप्त करने के प्रयत्न में रहता हूं ।