मेरा जन्म तत्कालीन उत्तर प्रदेश में बिजनौर जनपद के एक गाँव मुरलीवाला में सनातनधर्मी मध्यम वर्गीय क्षत्रिय परिवार में हुआ था, अब वह स्थान उत्तराखण्ड में है या उत्तर प्रदेश में हैं, हमें यह ज्ञात नहीं है | बचपन में मेरा नाम जनार्दन रखा गया था | सन्यास ले लेने के उपरान्त सन्यास की परम्परानुसार मेरा नाम श्री नीलकण्ठ गिरी है, मुझे “श्री नीलकण्ठ गिरी व राम गिरी” इन दो नामों से जाना जाता है |
वैराग्य :- मुझे धर्म-आध्यात्म, गहन साधनाओं, ईश्वरीय सत्ता व सत्य की खोज में रहने की बचपन से ही आदत थी, इसी क्रम में मैंने 9 वर्ष की आयु से सामान्य विद्यालयी शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ ही कालागढ़ के सिद्ध योगी श्री भंवर नाथ जी महाराज व जूना अखाड़े के श्री संतोष गिरी जी महाराज से यौगिक व साधनात्मक क्रियाएं सीखनी प्रारम्भ कर दी थी !
तदुपरांत मैंने उज्जैन (मध्य प्रदेश) के सिद्ध शक्तिपीठ माता हरसिद्धि मन्दिर परिसर में एकांतवासी परम तपस्वी सिद्ध योगी श्री श्री १००८ श्री भगवान गिरी जी महाराज से ब्रह्मचर्य दीक्षा ग्रहण की तथा उनकी प्रेरणा व उनके निर्देशन में सामान्य विद्यालयी शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ धर्म-आध्यात्म, पराविज्ञान, मनोविज्ञान, योग, तन्त्र व मन्त्र की अनेक गहनतम साधनाएं सीखी और उन साधनाओं को विधिवत् सम्पन्न किया |
निवृत्तिमार्ग की प्रेरणा :- मेरे साधनात्मक जीवन के अनुभवों ओर मेरे गुरुजनों के द्वारा मुझे दी गई शिक्षाओं तथा मेरे पुर्वाश्रम की गौचर परिस्थितियों का शूक्ष्मता पूर्वक अवलोकन व अध्ययन करने से यह सुनिश्चित हुआ कि इस कर्म प्रधान श्रृष्टि में प्रत्येक जीव अपने पूर्व के कर्मबंधनों को भोगने के निमित्त ही जन्म लेता है ! ओर जन्म लेने के उपरान्त प्रत्येक जीव अपने पूर्व के कर्मबंधनों के परिणाम स्वरूप “सुख या कष्ट” को भोगने के साथ-साथ भविष्य के लिए नए कर्मों को भी करते हुए उन कर्मों को भविष्य में भोगने के लिए सन्चित करता रहता है !
किन्तु प्रकृति ने प्रत्येक जीव को स्थिरतापूर्वक योग, तप, रोग, कष्ट आदि के द्वारा उसके पूर्व के कर्मबंधनों को भोगते हुए भविष्य में भुक्त होने योग्य कोई भी कर्म सन्चित नहीं करने का स्वतन्त्र विकल्प प्रदान किया हुआ है ! मैंने अपने गुरुजनों से आग्रह कर कर्मबंधनों से “निवृत्त” होने के लिए अपने लिए सर्वश्रेष्ठ मार्ग “निवृत्तिमार्ग” को चुना है !
वर्तमान में मैं श्री ज्योतिर्मणि पीठ, मणिकूट पर्वत, पोस्ट – नीलकण्ठ महादेव, जिला – पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड) में निवासरत हूं !